दोस्तों हरियाणा में 27 सितंबर, 2024 से धान की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन किसानों को धान बेचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में धान की कटाई का काम तेजी से चल रहा है और मंडियों में धान की आवक लगातार बढ़ रही है, लेकिन सरकार और राइस मिलर्स के बीच पीआर धान की खरीद को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। राइस मिलर्स अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं जिसके कारण धान की खरीद प्रभावित हो रही है। इस स्थिति के कारण किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है सरकारी एजेंसियां नाममात्र की कर रही हैं खरीद
किसानों का कहना है कि जिन मंडियों में धान की खरीद हो रही है, वहां सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। सरकारी एजेंसियां नाममात्र की खरीद कर रही हैं। जो फसल खरीदी भी गई है, वह मंडियों में ही पड़ी है, क्योंकि मिलर्स की हड़ताल के कारण धान का उठान नहीं हो पा रहा है। मंडियों में जगह न होने के चलते किसान सड़कों पर ही धान डालने को मजबूर हैं। यह सब कुछ विधानसभा चुनाव के बीच हो रहा है, जिसका आयोजन 5 अक्टूबर को होना है। धान खरीद में आ रही दिक्कतों के चलते किसानों में काफी रोष है और जगह-जगह किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ किसान मंडियों में ताले जड़ रहे हैं, तो कुछ ट्रैक्टरों में धान रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर अगले कुछ दिन भी हालात ऐसे ही रहे तो इसका असर राज्य के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।
मिलर्स की क्या है मांगे
हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने बताया कि मिलर्स और सरकार के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है, जिसके कारण पीआर धान की मिलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन में देरी हो रही है। मिलर्स एक नई मिलिंग नीति की मांग कर रहे हैं क्योंकि मौजूदा नीति काफी पुरानी हो चुकी है। खासकर हाइब्रिड धान की खेती बढ़ने के कारण धान टूटने की समस्या गंभीर हो गई है। मिलर्स का कहना है कि धान टूटने से उन्हें काफी नुकसान होता है और इसलिए वे चाहते हैं कि सरकार मिलिंग के दौरान धान टूटने की दर को ध्यान में रखते हुए नए नियम बनाए, जैसे कि 100 किलो धान के बदले 60 किलो चावल लेने का नियम।
मिलर्स के बकाया का नहीं हुआ है भुगतान
धान मिलर्स ने मिलिंग रेट में वृद्धि और पिछले साल के बकाया भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। मिलर्स का कहना है कि पिछले 30 साल से मिलिंग रेट 10 रुपये प्रति क्विंटल ही रहा है, जबकि इन वर्षों में खर्च काफी बढ़ गया है। इस हड़ताल का सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है। किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। कई किसानों की फसल बारिश में भीगने के कारण खराब होने लगी है और उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। कैथल जिले के किसान अनूप सिंह ने बताया कि वह एक हफ्ता पहले अपनी धान की फसल लेकर मंडी आए थे, लेकिन उन्हें खरीददार नहीं मिला। जींद जिले की नरवाना मंडी के आढ़ती देवी दयाल शर्मा ने भी बताया कि मंडी में अभी तक धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई है। मिलर्स की हड़ताल के कारण किसान मंडियों में धान की ढेरी लगाने को मजबूर हैं।
हरियाणा के लिसनो को हो रही है परेशानी
हरियाणा में धान की सरकारी खरीद को लेकर किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने धान की खरीद की तारीख 23 सितंबर से 1 अक्टूबर कर दी थी, जिससे किसानों को काफी परेशानी हुई। जब किसान मंडियों में धान लेकर पहुंचे तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि खरीद की तारीख बदल दी गई है। इस निर्णय के विरोध में किसानों ने मंडियों के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिए। सरकार को किसानों के विरोध के बाद 27 सितंबर से धान की खरीद शुरू करनी पड़ी। हालांकि, खरीददारों की कमी और मिलर्स की हड़ताल के कारण किसानों को अब भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।