दोस्तों बासमती धान की कम कीमतों को लेकर किसानों का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। इस साल अच्छी पैदावार होने के बावजूद, किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। किसान मजदूर संघर्ष समिति के आह्वान पर किसानों ने पंजाब की मंडियों में अपनी फसल को सड़कों पर फेंककर विरोध प्रदर्शन किया है। किसानों का कहना है कि बाजार में बासमती की कीमतें काफी अधिक हैं, लेकिन उन्हें कम दाम मिल रहे हैं। विशेष रूप से पूसा-1509 और 1692 किस्मों के उत्पादक इस समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें उनकी फसल का उचित दाम मिले।
कम भाव में बासमती बेचने पर मजबूर है किसान
द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, विरोध कर रहे किसान जोगिंदर सिंह ने कहा कि हमें बासमती को 2,200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो कि परमल किस्मों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम है। उन्होंने आगे कहा कि अगर किसानों को कम कीमत मिल रही है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उपभोक्ताओं को यह सस्ते में मिलेगा। ग्राहकों को अब भी इसे अधिक कीमत पर खरीदने के लिए मजबूर किया जाएगा। वर्तमान में स्थानीय बाजार में बासमती की 1509 किस्म का औसत मूल्य 2,000 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि पिछले साल इसी समय पर बासमती की कीमत 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल थी।
किसानों को हो रहा नुकसान
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बासमती धान के दामों में भारी गिरावट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पिछले साल जहां बासमती धान की विभिन्न किस्मों की खरीद 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से हो रही थी, वहीं इस साल यह भाव घटकर मात्र 2,000 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है। कुछ किसानों ने तो यह भी बताया है कि उनकी उपज केवल 1800 रुपये प्रति क्विंटल पर ही खरीदी गई है। इस भारी गिरावट के कारण किसान आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। किसान पंधेर ने कहा कि किसान अपनी उपज सड़कों पर फेंकने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि लोगों को पता चले कि किसानों को उनके द्वारा उगाए गए अनाज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।
क्या इस बार बासमती के अच्छे भाव मिलेंगे
भाइयो कुछ दिनों पहले धान का भाव बहुत ही कम चल रहा था अगर पिछले साल से तुलना करे तो 800 से 1000 रूपये कम था अभी धान और चावल दोनों के भाव में तेजी देखने को मिल रही है फ़िलहाल धान का टॉप भाव 3100 तक पहुंच गया है और लगातर बढ़ता ही जा रहा है चावल के भाव में भी 200 से 250 रुपए तक की तेजी आई है अब सरकार चावल से प्रतिबंद भी हटा दिया है जानकारों का कहना है की धीरे धीरे भाव बढ़ने की गुंजाइस है क्योकि चावल के भाव भी बढ़ रहे है जिससे धान के भाव भी बढ़ेंगे बाकि व्यापार अपने आप से ही करे